हिंदी कहानियां - भाग 5
| कोयला और चंदन |
| कोयला और चंदन | हकीम लुकमान का पूरा जीवन जरूरतमंदों की सहायता के लिए समर्पित हुआ था। जब उनका अंतिम समय नजदीक आया तो उन्होंने अपने बेटे को पास बुलाया। बेटा पास आ गया तो उन्होंने उससे कहा, 'देखो बेटा, मैंने अपना सारा जीवन दुनिया को शिक्षा देने में गुजार दिया। अब अपने अंतिम समय में मैं तुम्हें कुछ जरूरी बातें बताना चाहता हूं। लेकिन इससे पहले जरा तुम एक कोयला और चंदन का एक टुकड़ा उठा कर ले लाओ। बेटे को पहले तो यह बड़ा अटपटा लगा, लेकिन उसने सोचा कि अब पिता का हुक्म है तो यह सब लाना ही होगा। उसने रसोई घर से कोयले का एक टुकड़ा उठाया। संयोग से घर में चंदन की एक छोटी लकड़ी भी मिल गई। वह दोनों को लेकर अपने पिता के पास पहुंच गया। उसे आया देख लुकमान बोले, 'बेटा, अब इन दोनों चीजों को नीचे फेंक दो।' बेटे ने दोनों चीजें नीचे फेंक दीं और हाथ धोने जाने लगा तो लुकमान बोले, 'जरा ठहरो बेटा। मुझे अपने हाथ तो दिखाओ।' बेटे ने हाथ दिखाए तो वह उसका कोयले वाला हाथ पकड़ कर बोले, 'देखा तुमने। कोयला पकड़ते ही हाथ काला हो गया। लेकिन उसे फेंक देने के बाद भी तुम्हारे हाथ में कालिख लगी रह गई। गलत लोगों की संगति ऐसी ही होती है। उनके साथ रहने पर भी दुख होता है और उनके न रहने पर भी जीवन भर के लिए बदनामी साथ लग जाती है। दूसरी ओर सज्जनों का संग इस चंदन की लड़की की तरह है जो साथ रहते हैं तो दुनिया भर का ज्ञान मिलता है और उनका साथ छूटने पर भी उनके विचारों की महक जीवन भर बनी रहती है। इसलिए हमेशा अच्छे लोगों की संगति में ही रहना।